अभिसार शर्मा |
अभिसार शर्मा अपने फेसबुक पर लिखे है कि, मेरठ मे एक दलित की पहचान करके उसे गोली मार दी गयी। बाकायदा एक लिस्ट बनायी गयी है। कुछ दलित युवक फरार बताए जा रहे हैं। उदित राज, मोदी सरकार मे सांसद कह रहे हैं के उनसे जुड़ी संस्थाओं के दलित कार्यकर्ताओं को ग्वालियर मे टार्गेट किया जा रहा है। मोदी सरकार के चार दलित सांसद मोदीजी को खत लिख कर कह चुके हैं के चार सालों मे दलितों के लिए कुछ नहीं किया गया है।
इस बार के दलित आंदोलन के बाद पूरे भारत मे सिलसिलेवार तरीके से दलितों को निशाना बनाया जा रहा है। जैसा के मैने बताया, मेरठ में बाकायदा एक लिस्ट बनायी गयी और उस लिस्ट मे शामिल एक दलित की छाती पर कई गोलियां दाग दी गयीं। ये अप्रत्याशित है। दलितों के साथ इस देश मे अत्याचार होता रहा है, मगर बीजेपी राज्यों मे इस कदर निशाना लगाना पहले कभी नहीं हुआ. क्या अब उन्हे प्रदर्शन करने का अधिकार भी नहीं है?
सोशल मीडिया ही नहीं आम बोलचाल मे भी कुछ लोग दलितों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं और अपने मूह से वाहियात शब्दों का प्रयोग करने वाले सभी लोगों मे एक ही चीज़ समान हैं. सब के सब मोदी भक्त अंध भक्त इनकी घृणा और हिकारत मुझे ना सिर्फ निशब्द कर देती है बल्कि चिंता मे डाल देती है के किसी के दिल मे किसी समाज के लिए इतनी नफरत कैसे हो सकती है।
ये भूल गए हैं के ठीक उत्तर प्रदेश के चुनावों से पहले मोदीजी ने भरे हुए गले मे कहा था, मित्रों चाहे तो मुझे मार दो, मगर मेरे दलित भाई बहनों को छोड़ दो. नफरत से भरे ये भक्त भी जानते हैं के मोदीजी के आंसू भी मौसमी थे. निगाह उस वक़्त भी चुनावों पर थी. सतही दर्द का असर भी ऊपरी होता है।
लिहाज़ा इस बार जो जुमला उछाला जा रहा है, वो और भी महान है.मोदीजी ने कहा है के सभी सांसद दलितों के साथ, उनके घरों मे वक़्त बिताएं. इस बार जुमला original भी नहीं है। प्रेरित है। नकल किया गया है। उस व्यक्ति की नकल की गयी है, जिसका आप सबसे ज़्यादा मज़ाक उड़ाते हैं। राहुल गांधी ये प्रयोग करते रहे हैं, उसके बाद राजनाथ जी उनसे प्रेरित होकर ऐसा कर चुके हैं। और हां, मोदीजी तो कह भी चुके हैं दलितों का सबसे ज़्यादा काम तो उनके कार्यकाल मे हुआ है।
सुबूत हमारे आसपास तैर रहे हैं. क्यों? ऊना से लेकर उत्तर प्रदेश और ये दलितों मे मोदी राज को लेकर अपार उत्साह ही तो था के वो आपके समर्थन मे इस कदर सड़क पर उतर आए थे। ये बात आप खुद को तो समझा ही सकते हैं और आपके भक्त तो मान ही जाएंगे। बाक़ी किसी और की आवाज़ मायने कहां रखती है?
Post a Comment
Thanks For Visiting and Read Blog