वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी |
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए लिखा है कि तथ्यों को कैसे तोड़ा मरोड़ा जाता है, आप प्रधानमंत्री से सीख सकते हैं। मैं इन्हें सरासर झूठ कहता हूं क्योंकि ये खास तरीसे से डिजाइन किए जाते हैं और फिर रैलियों में बोला जाता है। गुजरात चुनावों के समय मणिशंकर अय्यर के घर की बैठक वाला बयान भी इसी श्रेणी का था जिसे लेकर बाद में राज्य सभा में चुपचाप माफी मांगी गई थी। 1948 की घटना का ज़िक्र कर रहे हैं तो ज़ाहिर है टीम ने सारे तथ्य निकाल कर दिए ही होंगे, फिर उन तथ्यों के आधार पर एक झूठ बनाया गया होगा।
कर्नाटक के कलबुर्गी में प्रधानमंत्री की रैली
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कर्नाटक के कलबुर्गी में प्रधानमंत्री ने कहा कि फिल्ड मार्श के एम करिअप्पा और जनरल के थिमैया का कांग्रेस सरकार ने अपमान किया था। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है। जनरल थिमाया के नेतृत्व में हमने 1948 की लड़ाई जीती थी। जिस आदमी ने कश्मीर को बचाया उसका प्रधानमंत्री नेहरू और रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन ने अपमान किया। क्या अपमान किया, कैसे अपमान किया, इस पर कुछ नहीं कहा।
1947-48 की लड़ाई में भारतीय सेना के जनरल सर फ्रांसिस बुचर थे न कि जनरल थिमाया। युद्ध के दौरान जनरल थिमैया कश्मीर में सेना के आपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे। 1957 में सेनाध्यक्ष बने। 1959 में जनरल थिमैया सेनाध्यक्ष थे। तब चीन की सैनिक गोलबंदी को लेकर रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन ने उनका मत मानने से इंकार कर दिया था। इसके बाद जनरल थिमैया ने इस्तीफे की पेशकश कर दी जिसे प्रधानमंत्री नेहरू ने अस्वीकार कर दिया।
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प्रधानमंत्री मोदी को पता है कि उनकी इन बातों को मीडिया जस का तस रिपोर्ट करेगा। कुछ वेबसाइट पर सही बात छप भी जाएगी तो क्या फर्क पड़ेगा मगर कर्नाटक की जनता तो इन बातों से बहक जाएगी। क्या इस बात पर चिन्ता नहीं करनी चाहिए कि भारत के प्रधानमंत्री जनता को बहकाने के लिए झूठ भी बोल देते हैं?
प्रधानमंत्री द्वारा बेल्लारी में अवैध खनन के आरोपी रेड्डी बंधुओं का बचाव
लगातार आलोचना हो रही है कि बीजेपी ने बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं के परिवार के सात सदस्यों को टिकट दिया है। कोई इन्हें मंच पर बुलाता है तो कोई इन्हें दूर रखता है। अमित शाह रेड्डी बंधु से किनारा करते हैं, रेड्डी बंधु बीजेपी का प्रचार कर रहे हैं। येदुरप्पा इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं कि अमित शाह का फैसला था।
अब प्रधानमंत्री बेल्लारी गए। रेड्डी बंधुओं पर अवैध खनन के तमाम मामले चल रहे हैं। प्रधानमंत्री की आलोचना भी हो रही थी इस बात को लेकर। जिनके अभियान की शुरूआत न खाऊंगा न खाने दूंगा से शुरू हुआ था, वो प्रधानमंत्री अब रेड्डी बंधुओं का बचाव कर रहे हैं।
बेल्लारी जाकर वे अपनी भाषण कला(?) का इस्तमाल करते हैं। बात को कैसे घुमाते हैं, आप खुद देखिए। कहते हैं कि कांग्रेस ने बेल्लारी का अपमान किया है। कांग्रेस कहती है कि बेल्लारी में चोर और लुटेरे रहते हैं। जबकि 14 वीं से 17वीं सदी के बीच विजयनगरम साम्राज्य के समय गुड गवर्नेंस था। भला हो प्रधानमंत्री का जिन्होंने विजयनमगर के महान दौर को बीजेपी सरकार का दौर नहीं कहा। मगर किस चालाकी और खूबी से उन्होंने बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं का बचाव किया। वे बेल्लारी की जनता के अपमान के बहाने रेड्डी बंधुओं का खुलेआम बचाव कर गए। तालियां। पहली बार प्रधानमंत्री ने रेड्डी बंधुओं को क्लिन चिट दे दिया है। अब सीबीआई भी चुप ही रहेगी।
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हर चुनाव में प्रधानमंत्री झूठ का नायाब उदाहरण पेश करते हैं। अभी तक के किसी भी प्रधानमंत्री ने झूठ को लेकर इतने रचनात्मक प्रयोग नहीं किए हैं। अगर चुनावी जीत में उनके झूठ का इतना बड़ा रोल है तो हर झूठ को हीरा घोषित कर देना चाहिए। इस हीरे का एक कंगन बना लेना चाहिए। फिर उस कंगन को राष्ट्रीय स्मृति चिन्ह घोषित कर देना चाहिए। आप ही तय कीजिए कि क्या प्रधानमंत्री को इस तरह की बातें करनी चाहिए?
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