RBI ने ब्याज दर बढ़ाई, बैंक कर्ज होगा महंगा |
बीजेपी की मोदी सरकार आने के बाद पहली बार RBI ने रेपो दरों में 0.25 फीसदी का इज़ाफ़ा किया है। अब रेपो रेट 6.25 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट 6 प्रतिशत हो गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई बढ़ने की चिंता के बीच बुधवार को मुख्य नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया जिससे बैंक कर्ज महंगा हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ महीनों के दौरान कच्चे तेल के दाम बढ़ने से महंगाई को लेकर लोगो की चिंता बढ़ी है।
RBI ने पिछले साढे चार साल में पहली बार रेपो दर में वृद्धि की गयी है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को बढ़ाकर 4.8-4.9 प्रतिशत कर दिया है जबकि वर्ष की दूसरी छमाही के लिए इसे 4.7 प्रतिशत रखा गया है।
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RBI के मुद्रास्फीति के इस अनुमान में केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले बढ़े महंगाई भत्ते का असर भी शामिल है। मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल समेत सभी छह सदस्यों ने रेपो दर में वृद्धि के पक्ष में अपना मत दिया।
रिजर्व बैंक ने कहा है मौद्रिक नीति समिति ने ‘रेपो दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ा दिया है जबकि अन्य उपायों को तटस्थ बनाये रखा है।
बतादे कि रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उनको फौरी नकद की सुविधा उपलब्ध कराता है। इसके बढ़ने से बैंकों के धन की लागत बढ़ जाती है।
RBI ने समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 7.4 प्रतिशत पर पूर्ववत बनाये रखा है। समीक्षा में कहा गया है कि कच्चे तेल के दाम में हाल के दिनों में हलचल पैदा हुई है जिससे मुद्रास्फीति परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता पैदा हुई है-यह अनिश्चितता इसमें वृद्धि और गिरावट दोनों को लेकर है।
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इससे पहले अप्रैल में जारी मौद्रिक समीक्षा में RBI ने खुदरा मुद्रास्फीति के लिए पहली छमाही के दौरान 4.7-5.1 प्रतिशत और दूसरी छमाही में इसके 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। इसमें केंद्र सरकार के कर्मचारियों का आवास किराया भत्ता वृद्धि का प्रभाव भी शामिल था।
मौद्रिक नीति समीक्षा की महत्वपूर्ण बातें
- मुख्य नीतिगत दर (रेपो) 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत की गई।
- साढ़े चार साल में नीतिगत दर पहली बार बढ़ी।
- रिवर्स रेपो 6 प्रतिशत, बैंक दर 6.50 प्रतिशत।
- वर्ष 2018-19 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.4 प्रतिशत पर बरकरार।
- खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल-सितंबर के लिए 4.8-4.9 प्रतिशत तथा दूसरी छमाही में 4.7 प्रतिशत रहने का संशोधित अनुमान।
क्रूड आयल के दाम में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने का खतरा
- कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से मुद्रास्फीति परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ी।
- निवेश में सुधार, ऋण शोधन एवं दिवाला संहिता के तहत मामलों के निपटान से निवेश को बल मिला।
- भू-राजनीतिक जोखिम, वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव, व्यापार संरक्षणवाद का घरेलू वृद्धि पर प्रभाव पड़ेगा।
- केंद्र तथा राज्यों द्वारा बजटीय लक्ष्य पर कायम रहने से मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम कम होगा।
- मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्यों ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत वृद्धि का समर्थन किया।
- एमपीसी की अगली बैठक 31 जुलाई और एक अगस्त को।
RBI ने मुद्रास्फीति अनुमान में मामूली वृद्धि की
RBI ने वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने पर चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के बारे में अपने पहले के अनुमान को बुधवार को मामूली रूप से बढ़ा दिया। रिजर्व बैंक ने कहा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में तेजी से बढ़कर 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गई। इस दौरान खाद्य, ईंधन को छोड़कर अन्य समूहों में तीव्र वृद्धि का इसमें अधिक योगदान रहा।
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मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अप्रैल में हुई बैठक के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की भारतीय बास्केट का दाम 66 डालर बढ़कर 74 डालर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इसमें करीब 12 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। विश्व बाजार में दूसरी उपभोक्ता जिंसों के दाम बढ़ने के साथ ही हाल के वैश्विक वित्तीय बाजार के घटनाक्रमों से विभिन्न उत्पादों के मामले में लागत दबाव बढ़ गया।
RBI ने 2018-19 के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.4 प्रतिशत पर बनाए रखा
रिजर्व बैंक ने निवेश को गति मिलने तथा खपत अधिक रहने की उम्मीद में चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। पिछले वित्त वर्ष में यह 6.7 प्रतिशत थी। मौद्रिक नीति समिति की 2018-19 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद RBI ने कहा कि हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों के दाम में तीव्र वृद्धि खर्च करने योग्य आय को प्रभावित कर सकती है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सतत रूप से सुधार दिखा है। उत्पादन क्षमता और उत्पादन का अंतर लगभग समाप्त हो गया है।
RBI की तरफ से जारी नीति बयान में कहा गया है कि विशेष रूप से निवेश गतिविधियों में पुनरूद्धार हो रहा है और ऋण शोधन तथा दिवाला संहिता के तहत अर्थव्यवस्था के दबाव वाले क्षेत्रों के सुगमता से निपटान से इसमें और तेजी आने की उम्मीद है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि कुल मिलाकर आकलन के आधार पर 2018-19 के लिए जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। अमेरिकी की साख रेटिंग एजेंसी मूडीज ने पिछले सप्ताह देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 7.3 प्रतिशत कर दिया। पूर्व में इसके 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। उसका कहना था कि तेल की ऊंची कीमतों तथा कड़ी वित्तीय स्थिति का तेजी पर असर पड़ेगा।
RBI ने अप्रैल-सितंबर अवधि के लिए आर्थिक वृद्धि दर 7.5 से 7.6 प्रतिशत तथा अक्टूबर मार्च के लिए 7.3 से 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.
रिजर्ब बैंक ने कहा कि क्षमता उपयोग तथा ऋण उठान में सुधार से निवेश गतिविधियां मजबूत बनी रहने की उम्मीद है। आरबीआई ने कहा कि वैश्विक मांग भी अच्छी बनी हुई है। इससे निर्यात को प्रोत्साहन मिलना चाहिए तथा निवेश को और गति मिल सकती है। इसके अलावा ग्रामीण तथा शहरी दोनों खपत बेहतर बनी हुई है और इसमें और मजबूती की उम्मीद है।
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हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि भू-राजनीतिक जोखिम, वैश्विक वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव तथा व्यापार संरक्षणवाद को खतरा घरेलू पुनरूद्धार के रास्ते में चुनौती है।
RBI ने कहा है कि यह महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक वित्त से निजी क्षेत्र की निवेश गतिविधियां प्रभावित नहीं हो। केंद्र तथा राज्यों के बजटीय लक्ष्यों पर कायम रहने से मुद्रास्फीति परिदृश्य के ऊपर जाने का जोखिम कम होगा।
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