DRI के आरोपों पर पतंजलि ग्रुप ने कहा किसी प्रकार के नियमों को किसी भी तरह से तोड़ने की बात को खारिज किया है। समूह ने कहा, “हमने अब तक निर्यात नहीं किया है और अभी इसे बाहर भेजने की प्रक्रिया में ही हैं। हमने ये लकड़ियां APFDCL ( आंध्र प्रदेश जंगल विकास निगम लिमिटेड) से खरीदी है और कुछ भी गलत नहीं किया है।” एक ई-मेल का जवाब देते हुए पतंजलि ग्रुप की ओर से बताया गया कि निर्यात की प्रक्रिया में शामिल में सभी दस्तावेज, परचेज ऑर्डर, परफॉर्मा इनवॉयस, कृष्णपट्टनम पोर्ट पर लकड़ियों की मौजूदगी, लकड़ियों की दर और सी कैटेगरी की लकड़ियों के निर्यात का परमिशन और लाइसेंस उसके पास मौजूद है।
बाबा रामदेव की पतंजलि ग्रुप ने चंदन की ये लकड़ियां आंध्र प्रदेश वन विभाग द्वारा की गई एक नीलामी में खरीदी थी। भारत से बेहतरीन क्वालिटी की चंदन की लकड़ियों का निर्यात प्रतिबंधित है। हालांकि, सामान्य किस्म की लकड़ियों को बाहर भेजा जा सकता है। पड़ोसी देश चीन चंदन की लकड़ियों का सबसे बड़ा खरीददार है।
पतंजलि आर्यवेद की तरफ से बताया गया है कि APFDCL ने इन सभी चीजों की जांच भी की है। पतंजलि ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा कि यह विरोधियों की साजिश का नतीजा हो सकता है। संस्था ने कहा, “कुछ भ्रामक और झूठी सूचनाएं कुछ निहित स्वार्थ वाले तत्वों द्वारा दिए जाने की वजह से यह जांच हुई है। ग्रुप ने कहा कि कहीं भी ए या बी कैटेगरी की लकड़ियों के एक्सपोर्ट का सवाल नहीं है। जांच एजेंसी ने कहा है कि पूरी जांच होने तक पतंजलि इन सामानों को एक्सपोर्ट नहीं कर सकती है। वहीं, पतंजलि समूह ने दिल्ली हाईकोर्ट से निवेदन किया है कि जब्त लकड़ियों को जल्द से जल्द रिलीज किया जाए।
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