बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा की मुश्किलें बढ़ सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (6 मार्च) को संबित पात्रा को देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) का स्वतंत्र डायरेक्टर नियुक्त करने के मामले में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से जवाब मांगा है।
एक एनजीओ की याचिका पर की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से जवाब मांगा कि संबित पात्रा केंद्र सरकार द्वारा संचालित पीएसयू ओएनजीसी के स्वतंत्र डायरेक्टर किस आधार पर बनाए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि पात्रा इस पद के लिए आवश्यक योग्यता नहीं रखते हैं और 27 लाख सालाना का वेतन किस आधार पर लेते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के पिछले साल के उस फैसले को चुनौती देने वाली एक एनजीओ की याचिका पर केन्द्र सरकार को सुनेगी जिसमें भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा की ओएनजीसी में स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्ति के खिलाफ दायर अर्जी को ठुकरा दिया था।
ONGC का डायरेक्टर नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से मांगा जवाब
हालांकि, इस मामले में न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की बेंच ने केंद्र की मोदी सरकार को औपचारिक रूप से नोटिस तो जारी नहीं किया, लेकिन एनजीओ से याचिका की एक प्रति केंद्र सरकार को भेजने को कहा है। एनजीओ ने दिल्ली हाई कोर्ट के पिछले साल छह नवंबर के फैसले को चुनौती दी थी।
NGO ‘एनर्जी वाचडाग’ के तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने जब कोर्ट से केंद्र को औपचारिक रूप से नोटिस जारी करने का निवेदन किया तो पीठ ने कहा कि, 'आप भारत संघ (केंद्र सरकार) को प्रति भेजें। शुरुआती दलीलें सुनने के बाद हम औपचारिक नोटिस जारी कर सकते हैं।' पीठ ने इसके बाद मामले को दो सप्ताह बाद सुनने के तारीख दे दिया दिया है।
बता दें कि पिछले साल 6 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने संबित पात्रा को ONGC का स्वतंत्र निदेशक नियुक्त करने के खिलाफ एक एनजीओ की तरफ से दायर याचिका पर कोई भी हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। याचिका में कहा गया था कि संबित पात्रा बीजेपी के सक्रिय सदस्य हैं। वह ओएनजीसी में स्वतंत्र निदेशक नहीं बनाए जा सकते। यह नियमों के खिलाफ है।
ऐसे पदों का दरुपयोग नही होना चाहिए . इन पदों पर स्वतंत्र न्युक्ति करनी चाहिए जो देश औए समाज दोनों के लिए फायदे मंद है .cheak here
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