मोदी और LG के तानाशाही से बढ़ रहा केजरीवाल का जन स्पोर्ट


 मोदी और LG के तानाशाही से बढ़ रहा केजरीवाल का जन स्पोर्ट
 मोदी और LG के तानाशाही से बढ़ रहा केजरीवाल का जन स्पोर्ट 


नई दिल्ली : मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का दिल्ली के उपराज्यपाल के वेटिंग रूम में धरने का हप्ता बीतने वाला है। अभी भी समस्या का समाधान का कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रहा है।  पुरे देश भर में केंद्र और LG के रवैये का विरोध हो रहा है।


वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने अपने फेसबुक पर लिखा कि, ' दिल्ली पुलिस कहती है आप वाले प्रधानमंत्री के घर जाने के वास्ते सड़कों पर जुलूस नहीं निकाल सकते। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है आप के नेता एलजी साहब के घर में धरना नहीं दे सकते। अब एक-एक कर नेता अस्पताल पहुँच रहे हैं। अस्पताल में सत्याग्रह की इजाज़त होती है या नहीं?

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दरअसल उपराज्यपाल का घर और दफ़्तर एक ही इमारत में होता है। जो कोई सरकारी काम से उनसे मिलने के लिए जहाँ जाता-बैठता है, और एलजी आकर उनसे मिलते हैं, वह एलजी का दफ़्तर कहलाएगा घर नहीं।
जब से गुप्ताओं से केजरीवाल ने गलबहियाँ कीं, मैं भी उनकी राजनीति की इस गिरावट पर हैरान हुआ। लिखा भी। पर मौजूदा संकट में वे व्यापक सहानुभूति और समर्थन बटोर रहे हैं, क्या भाजपा के नेता इतना नहीं समझ पा रहे? पाँच मुख्यमंत्री उनके साथ आ चुके। अनेक दलों का समर्थन मिल गया। घर-घर में बाबुओं की ‘हड़ताल’ और उसे केंद्र (एलजी समाहित) की शह की चर्चा छिड़ी है। संवैधानिक संकट की बात हो रही है। केजरीवाल अपनी खोई इज़्ज़त दुबारा कमा रहे हैं, उन्हें मोदी सरकार का ऋणी होना चाहिए।


पता नहीं अदालत के पास Office-cum-residence की क्या परिभाषा है। पर भाजपा के जो विजेंद्र गुप्ता हाईकोर्ट में याचिका लेकर पहुँचे – और अदालत ने उस पर तुरंत कान भी दिया – दो रोज़ पहले ख़ुद मुख्यमंत्री के दफ़्तर के एक कमरे में धरना देकर बैठ गए थे। काश अदालत पलटकर उनसे पूछ पाती कि आप मुख्यमंत्री के दफ़्तर में आसन लगा सकते हैं, तो उपराज्यपाल के दफ़्तर में मुख्यमंत्री क्यों नहीं। '

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समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने केजरीवाल को स्पोर्ट में कहा कि' मैं प्रधानमंत्री जी से और उपराज्यपाल जी से अपील करूंगा कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री से इस विषय पर बात करें। '


आध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद ने दिल्ली उप मुख्यमंत्री मनीष सीसोदिआ और सतेंद्र जैन से मिलने अस्पताल पहुंचे और उन्होने कहा कि, 'भारत के राजनीतिक इतिहास में यह आपातकाल से भी अत्यंत विचित्र स्थिति है। '


वरिष्ठ शायर और बैज्ञानिक Gauhar Raza ने भी केजरीवाल को सर्थन में लिखा कि, 'मैं केजरीवाल और आप पार्टी का समर्थक ना था ना हूँ। इस के कई कारण हैं जिन पर ओहिर कभ बात होगी, मगर जिस तरह दिल्ली रकार को रौंदा जा रहा है उस पर चुप बैठना ग़लत होगा। यह देश मैं, जिस की लाठी उसकी भैंस, का जंगल राज क़ायम करने की कोशिश है। यह लोकतंत्र के कल्चेर को पूरी तरह ढा देने का रास्ता है। यह बेज़्ज़ती है देहली के अवाम की जिंहों ने आम आदमी की सरकार को बड़ी संख्या में वोट दिया। उन्हें काम ना करने देना दिल्ली के अवाम को ठेंगा दिखाना है, उन्हें यह बताना है के तुम कोई भी सरकार चुनो हम उसे जब चाहें जूतों से रौंद देंगे। यह कहना है के अवाम की कोई औक़ात नहीं। यह कहना है कि अगर किसी ने बिजली के दाम काम किए, किसी ने स्वस्थ सेवा बेहतर करने की कोशिश की, किसी ने सरकारी स्कूल बेहतर किए तो उसे कुचल देंगे। यह आदमी केजरीवाल, लूट के बाज़ार को नुक़सान पहुँचा रहा है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। '

(गौहर रज़ा वैज्ञानिक और शायर हैं)

बी टीम

Sheetal P Singh  ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को स्पोर्ट मि लिखा कि, ' जिसके ६७ में से सोलह विधायकों को जेल में सड़ाया गया हो। दो दो मंत्रियों को पंद्रह दिन रस्सी बाँधकर टीवी परेड कराकर बेइज़्ज़त किया गया हो।  मुख्यमंत्री के दफ़्तर और घर पर सीबीआई की रेड मारी गई हो। जिसके साढ़ू के लड़के को फरजी मामला खडाकर जेल में डाला गया हो।  जिसके प्रमुख सचिव का IAS कैरियर ख़त्म कर जेल और यातना से गुज़ारा गया हो। जिस पर मानहानि तक के दो दर्जन मुक़दमे लादे गये हों। जिसके खिलाफ हाई कोर्ट से उसके सारे अधिकार छीनने का ब्लैंकेट आर्डर ले लिया गया हो और सुप्रीम कोर्ट में फैसला रोके बरसों हो चुके हों !
बड़ी हिम्मत है कुछ लोगों में कि उसे नागपुर का एजेंट कह देते हैं !

अब देश में सिर्फ एक दल बचा है जो केजरीवाल की मोदी सरकार से लड़ाई में मोदी सरकार और उसके LG का बचाव कर रहा है । शिव सेना तक ने bjp का इस मामले में दामन छोड़ना उचित समझा।


उसी के कुछ चारण जिन्होंने विवेकहीनता को विद्वता समझा हुआ है सोशल मीडिया पर हारी हुई जंग लड़ रहे हैं ।
पूरा देश एक तरफ अम्बानी अडानी के सेवक एक तरफ ।

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शह और मात

तो दिल्ली के भूरे बाबू (IAS) अब केजरीवाल से बातचीत के लिये तैयार हैं । २०१४ में सोलह करोड़ वोट पाने वाली बीजेपी और दस करोड़ वोट पाने वाली कांग्रेस के गठबंधन को कुल डेढ़ करोड़ वोट पाने वाले केजरीवाल ने जोकर साबित कर दिया !

करीब तेरह करोड़ वोट पाने वाले ग़ैर कांग्रेसी ग़ैर संघी दलों ने लोकतंत्र का ककहरा पुन: पढ़वा दिया ! यह विविधताओं का देश है बाबू यहाँ सड़कें संसद की आवारगी को थाम दिया करती हैं !
अंबानी अडानी के घर की दुकानें हाँफ रही हैं !

 (शीतल.पी.सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

स्वतंत्र टिप्पणीकार गिरीश मालवीय ने केजरीवाल के स्पोर्ट में लिखा कि, '18 अगस्त 2003 को गृह मंत्री रहते हुए लाल कृष्ण आडवानी ने संसद में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने का प्रस्ताव रखा था! वो प्रस्ताव संसद की कमिटी को दिया गया, जिसके चेयरमैन कांग्रेस पार्टी के नेता प्रणव मुखर्जी थे, और उन्होंने भी माना था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा मिलना चाहिए!

इसके बाद भी भाजपा खेमे से भाजपा नेताओ जैसे मदन लाल खुराना, साहेब सिंह वर्मा, विजय मल्होत्रा और डाक्टर हर्षवर्धन द्वारा समय-समय पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने की वकालत की जाती रही है! विजय गोयल भी जब दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष थे तो उन्होंने भी यही सब कहा था

भाजपा नेताओं की टोली 15 साल से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग करते हुए कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थी,

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने विधान सभा में दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे का प्रस्ताव रखा था! 2015 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने की बात कही थी

केजरीवाल दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात करके कौन सा गुनाह कर रहा है !………ये तो बता दो।  '

(गिरीश मालवीय स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)




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