दिल्ली में खतरनाक स्मॉग से निपटने के लिए होगी कृत्रिम बारिश!
दिल्ली में खतरनाक होते जा रहे प्रदूषण को लेकर केजरीवाल सरकार ने रविवार को कैबिनेट की आपात बैठक कर इस समस्या के समाधान की खातिर कई उपायों की घोषणा की। इनमें निर्माण कार्य पर बैन, सड़कों पर पानी का छिड़काव, कूड़ा जलाने पर पाबंदी और जेनरेटर सेट पर रोक के अलावा एक और कदम उठाने का जिक्र किया गया। यह कदम है कृत्रिम बारिश कराने की।साथ ही केंद्र सरकार से समर्थन की उम्मीद जताई है।
कैसे होती है कृत्रिम बारिश
कृत्रिम बारिश करवाने के लिए छोटे छोटे आकार के रॉकेटनुमा यंत्र में केमिकल भर कर आकाश में दागे जाते हैं। केमिकल के रूप में सिल्वर आयोडाइड का इस्तेमाल किया जाता है। यह केमिकल आकाश में छितराए हुए बादलों से रासायनिक क्रिया कर बारिश करता है। इस प्रयोग से सामान्य तौर पर 20 किलोमीटर के दायरे में बारिश होती है। वैज्ञानिक सिद्धांत के मुताबिक, केमिकल से भरा रॉकेट आकाश में दागे जाने के 45 मिनट बाद कृत्रिम बारिश होती है।इस तरह की बारिश कराने के लिए कई जगहों पर हेलिकॉप्टर तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, रॉकेट के मुकाबले यह तकनीक थोड़ी महंगी है। इसके अलावा रॉकेट तकनीक में सफलता की संभावना जहां 80 फीसदी है वहीं हेलिकॉप्टर तकनीक में यह महज 40 फीसदी ही है।
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