सुप्रीम कोर्ट के फैसले से LG को झटका, चुनी हुई सरकार लोकतंत्र में अहम |
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों को लेकर चल रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के अपना अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने मुख्य फैसले में कहा कि चुनी हुई सरकार लोकतंत्र में अहम है, इसलिए मंत्री-परिषद के पास फैसले लेने का अधिकार है। जजों ने कहा कि एलजी को दिल्ली सरकार की सलाह से काम करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से उपराज्यपाल को उनका अपना अधिकार इस फैसले में याद दिलाया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य बिंदुये
- उपराज्यपाल याद रखें दिल्ली की सरकार जनता की चुनी हुई सरकार है।
- विधानसभा के फैसलों के लिए उपराज्यपाल की सहमति जरूरी नहीं है।
- उपराज्यपाल की भूमिका राष्ट्रहित का ध्यान रखना है।
- मंत्रिमंडल के फैसले को उपराज्यपाल अटका नहीं सकते।
- कैबिनेट के साथ मिलकर दिल्ली के उपराज्यपाल काम करें। एलजी का काम दिल्ली सरकार के हर फैसले पर रोकटोक करना नहीं है।
- उपराज्यपाल सिर्फ सरकार को सलाह दे सकते हैं, बाध्य नहीं कर सकते।
- हर दिन के काम में बाधा डालना सही नहीं है. संविधान का पालन करना सबकी जिम्मेदारी है।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ
पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।
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फैसले के बाद उप मुख्यमंत्री ने किया प्रेसकॉन्फ्रेंस
उन्होंने कहा कि जिस तरह दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम पर अड़ंगा लगाया जा रहा था, वो खत्म हो गया है। इसके लिए हम दिल्ली की जनता की ओर से सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त करते हैं। अब दिल्ली सरकार को अपनी फाइलें उप राज्यपाल के पास भेजने की जरूरत नहीं होगी। उपराज्यपाल को कैबिनेट के फैसले को मानना ही होगा। इसके अलावा ट्रांसफर और पोस्टिंग दिल्ली सरकार ही करेगी।
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उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से हमें बहुत बल मिला है। मोदी सरकार ने सारे अधिकार एलजी को दे दिए थे। जिससे दिल्ली का काम रुक गया था। मोदी सरकार ने तो हमारे सारे अधिकार भी छिन लिए थे। अब हमें किसी काम को करने के लिए एलजी के परमिशन की जरुरत नहीं है। एलजी तो संविधान के खिलाफ जाकर काम करते थे। अब उम्मीद कर सकते हैं कि दिल्ली में सब सही होगा।
बतादे कि अभी एसीबी पर अधिकार को लेकर झगड़ा तो कभी मोहल्ला क्लीनिक और राशन डिलीवरी स्कीम का विवाद। जब से अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में आए हैं, ये आरोप सुनने को मिलता रहता था कि उपराज्यपाल उन्हें काम करने नहीं दे रहे हैं।
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